तेरी मुस्कान होती है
गमों में मुस्कुरा कर भी गले अपने लगाते हैं
बहे न आंख से आंसू उन्हें दिल में पी जाते हैं
बहारें भी मुझे अपना पता देती है वह लेकिन,
न आये शोखियां तल्खी तभी वो मुस्कुराते हैं।
बहुत उम्मीद करो जिनसे जख्म भी वही देते,
बहुत नादां सितमगर वो जो मौका ढूंढ लाते हैं।
कभी हंसते चेहरों में दिली मुस्कान नहीं होती,
कभी आंसू अकारण के,भारी मुस्कान होती है।
दुखों की धूप तीखी भी सदा रहती नहीं कायम,
कभी यह धूप,ठंडी छांव कभी मेहमान होती है।
कभी बिगड़ी हुई बातें संभाल लेती यह मुस्कान,
जहां पर दर्द हो बिखरा लबों की जान होती है।
खिली मुस्कान होठों की लगे किसको नहीं अच्छी,
गुले -आनन,खिली आंखें मुरीदों -दान होती है।
बिछी मुस्कान चेहरों की करे गम को भी वो आधा,
जिंदा है तेरी हस्ती, वही जिंदा पहचान होती है।