तेरी मांग में सिंदूर सजा दूँ क्या
तेरे पैरों में पायल पहना दूँ क्या
हाथों में कंगना खनका दूँ क्या
सोलह बरस की हो चली अब
तेरी माँग में सिंदूर सजा दूँ क्या
दिल का मंदिर खाली-खाली है
उसमे तेरी मूरत लगा दूँ क्या
तन्हा रहना अच्छा नहीं है और
मेरे घर पर बात पहुँचा दूँ क्या
माँ सपने देखती है परियों के
तू कहे तो तस्वीर दिखा दूँ क्या
सोचता है हर पल तुम्हें ,राज,
ये छुपा राज सबको सुना दूँ क्या
राज स्वामी