तेरी पायल
***** तेरी पायल ****
******************
तेरी पायल की झनकार
कर्णप्रिय सी है शानदार
ये झमझमाझम बजती है
दिल करती है ये तारतार
घुँघरू की मधुर आवाज
दिल के होती है आरपार
गोरे पैरों का गहणा है
सुंन्दर लगती है अपरंपार
आने जाने की आहट है
सुनाई देती बार – बार
पैरों में खूब सजती है
तेरे. यौवन की पहरेदार
हसीं हंसी जैसे बजती है
सुंदरता की है ताबेदार
प्रेम की बोली समझती है
भंवरों के जीने का आधार
सुखविंद्र की ये धड़कन है
घुँघरूओं की तेरी सरकार
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)