तेरी चाहत तेरी वफ़ा ले जाय
तेरी चाहत तेरी वफा ले जाय
जाने किस सिम्त ये नशा ले जाय
इस कदर बा हुनर नही है तू
अपना गम मुझसे जो छुपा ले जाय
आज के दौर मे ये मुश्किल है
अपना वादा कोई निभा ले जाय
मै भी अंजान इक मुसाफिर हूं
जाने किस सिम्त रास्ता ले जाय
डर रहा हूं मै हाल से अपने
मेरा मॉज़ी न वो चुरा ले जाय
वो मुहब्बत का इक सरापा है
उसको तोहफे मे कोई क्या ले जाय
है अजब मगरिबी चलन आज़म
छीन कर ऑख से हया ले जाय