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18 Apr 2023 · 1 min read

तेरी चाहत का कैदी

हमारे दरमियां फासले इतने बढ़ चुकें है
की अब वक्त देकर भी ना मिटा पाऊँगा

बनकर रहूंगा सदा तेरी चाहत का कैदी
करीब किसी और को ना बिठा पाऊँगा

चाहता हूँ तुम्हे दिल-ए-जाँ से आज भी
चाहकर भी वो चाहत ना भुला पाऊँगा

समुंदर जैसा गहरा कर बैठे इश्क़ हम
जिसका अंदाजा भी ना लगा पाऊँगा

करती हो वादा ना छोड़कर जाने का
तो दिल के दर्द का ना सजा पाऊँगा

जाने से पहले चंद लम्हें साये में रख
दर्द-ए-दिल का फिर ना दवा पाऊँगा

© प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला-महासमुन्द (छःग)

2 Likes · 1 Comment · 380 Views
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