तेरा हाथ हो मेरे हाथ में
तेरा हाथ हो मेरे हाथ में ।
तेरा ज़िक्र हो मेरी बात में ।।
बन के खुशबूओं का चमन ।
तुम महको मेरी ज़ात में ।।
न जिस्म की हों ज़रूरतें ।
तेरा साथ हो हर रात में ।।
आये मज़ा फिर जीने का ।
कभी भीगो जो बरसात में ।।
ये नये क़िस्म का दौर है ।
कुछ मज़ा नहीं जज़्बात में ।।
तेरा हाथ हो मेरे हाथ में ।
तेरा ज़िक्र हो मेरी बात में ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद