तेरा साया
है किसको परवाह यहां
कोई देखता भी नहीं
हो जायेगा सफल जब
कोई भूलता ही नहीं।।
जो न करते थे बात कभी
वो भी आज तुमसे मिलना चाहते हैं
दूर ही रहते थे तुझसे पहले जो
वो भी तुमसे मिलने को आतुर रहते हैं।।
रिश्ता तुझसे जोड़ता है
या वो सफलता से तेरी
पहले तो कभी थी नहीं
उसे इतनी फिक्र तेरी।।
जाने है कैसा शहद लगा हुआ
आज इस सफलता में तेरी
सुनता न था जो बात कभी
रहना चाहता है संगत में तेरी।।
है नहीं वो साया तेरा
जो साथ निभाएगा हमेशा तेरा
हो जबतक शिखर पर
साथ निभाएगा तब तक तेरा।।
ज़्यादा नजदीकियां उससे
अच्छी नहीं है तेरे लिए
जब साथ छोड़ जायेगा वो
भारी पड़ेगा तेरे लिए।।
छोड़ रहे हो साये को
तुम आज, जो उसके लिए
होगी ये गलती तुम्हारी
न कर ऐसा, रब के लिए।।
साया हमेशा साथ निभाएगा
उसकी बेकदरी अच्छी नहीं
मक्खियां तो छोड़ जायेगी
शहद खत्म हो जाने के बाद।।