Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jun 2021 · 2 min read

तेरा शहर छोड़ जायेगे

शीर्षक:तेरा शहर छोड़ जायेगे

प्राणों की चिंता किसको है प्राण बचाने जाते हैं
यह बात निराली है सुनिए प्राण गँवाने जाते हैं
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
बीवी बच्चों की ही खातिर गांवों से यह आए थे
बीवी बच्चों की ही खातिर गांवों को यह जाते हैं
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
रोजी रोटी के लाले थे गांवों में हैरान रहे
सूखी रोटी भी मिल न सकी आफत में प्राण रहे
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
चलते ट्रक में बस चढ़ जाएं जान बचाएं कैसे भी
मजबूर हुआ इंसान कितना सोच रही मैं बात यही
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
ऐसे प्राण बचेंगे कैसे सोचा किस ने आज यहां
हम गांव पहुंच जायेंगे सपना मन में आज यहां
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
बड़ी बुरी है आग पेट की आज समझ में आया है
बच्चों की प्यासी आंखों में यूं चांद उतर आया है
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
जब पहुंचेंगे ठौर ठिकाने सांस चैन की लेंगे
हम आधी रोटी में खुश हो फिर शहर भुला देंगे
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद
घोषणा:स्वरचित

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 384 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all
You may also like:
हिरख दी तंदे नें में कदे बनेआ गें नेई तुगी
हिरख दी तंदे नें में कदे बनेआ गें नेई तुगी
Neelam Kumari
जून की दोपहर (कविता)
जून की दोपहर (कविता)
Kanchan Khanna
केशव तेरी दरश निहारी ,मन मयूरा बन नाचे
केशव तेरी दरश निहारी ,मन मयूरा बन नाचे
पं अंजू पांडेय अश्रु
"चार पैरों वाला मेरा यार"
Lohit Tamta
प्रेम ईश्वर
प्रेम ईश्वर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दस्तक भूली राह दरवाजा
दस्तक भूली राह दरवाजा
Suryakant Dwivedi
नव वर्ष का आगाज़
नव वर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
हिरनी जैसी जब चले ,
हिरनी जैसी जब चले ,
sushil sarna
* फूल खिले हैं *
* फूल खिले हैं *
surenderpal vaidya
मैया तेरा लाडला ये हमको सताता है
मैया तेरा लाडला ये हमको सताता है
कृष्णकांत गुर्जर
दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ]
दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
" कुछ काम करो "
DrLakshman Jha Parimal
मोह मोह के चाव में
मोह मोह के चाव में
Harminder Kaur
3350.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3350.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
Labour day
Labour day
अंजनीत निज्जर
अंधभक्ति
अंधभक्ति
मनोज कर्ण
"अन्तरात्मा की पथिक "मैं"
शोभा कुमारी
संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
डॉ.सीमा अग्रवाल
झकझोरती दरिंदगी
झकझोरती दरिंदगी
Dr. Harvinder Singh Bakshi
Dr arun kumar shastri
Dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#आत्मीय_मंगलकामनाएं
#आत्मीय_मंगलकामनाएं
*प्रणय प्रभात*
यूं प्यार में ज़िंदगी भी तबाह हो जाती है,
यूं प्यार में ज़िंदगी भी तबाह हो जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अच्छी लगती धर्मगंदी/धर्मगंधी पंक्ति : ’
अच्छी लगती धर्मगंदी/धर्मगंधी पंक्ति : ’
Dr MusafiR BaithA
जीवन की परिभाषा क्या ?
जीवन की परिभाषा क्या ?
Dr fauzia Naseem shad
*घर आँगन सूना - सूना सा*
*घर आँगन सूना - सूना सा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चश्मा
चश्मा
लक्ष्मी सिंह
"इतिहास गवाह है"
Dr. Kishan tandon kranti
नहीं खुलती हैं उसकी खिड़कियाँ अब
नहीं खुलती हैं उसकी खिड़कियाँ अब
Shweta Soni
फूल सूखी डाल पर  खिलते  नहीं  कचनार  के
फूल सूखी डाल पर खिलते नहीं कचनार के
Anil Mishra Prahari
*** नर्मदा : माँ तेरी तट पर.....!!! ***
*** नर्मदा : माँ तेरी तट पर.....!!! ***
VEDANTA PATEL
Loading...