तेरा – मेरा
, तेरा-मेरा
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जो अच्छा हो वह तो सब का ,
अगर हानि तो तेरा – मेरा !
बाप बेचारा सोच रहा है –
कौन कुसूर कहाँ था मेरा !!
सब सोये चादर फैलाकर,
ताने -बाने बुने बाप ने !
किसे सवेरे क्या-क्या चहिए-
सोच-सोच कर हुआ सवेरा !!
नींद बाप को कम आती है ,
या जगते सपने आते हैं !
बाधाएँ मजबूर बनातीं –
नभ में चित्र बनाइ चितेरा !!
मानव पर सब कुछ लागू है,
पाप-पुन्य औ लाभ-हानि सब !
कुदरत में अधिसंख्य पिता,पर-
किस ने पिता – पिता कह टेरा !!
पति औ पिता बना मानव तू ,
तू ही पुत्र पिता भी तू ही!
आज पुत्र कल पिता बनेगा –
छूट जाय,तब तेरा मेरा !!
मानव ने ही नियम बनाए ,
मानव पर ही लागू होंगे !
जब-जब जिस सीढ़ी पर तुम हो-
तुम्हीं साँझ हो तुम्हीं सवेरा !!
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आशु-चिंतन /स्वरूप दिनकर
22/12/2023
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