तेज धूप, और तेज बारिश
तेज धूप, और तेज बारिश में
घूमने का मजा शायद लिया होगा
न बारिश गर्मी लगने देती है,
न धूप बाहर घूमने देती है !!
हवा भी मस्त होती है,
जब बारिश तेज होती है
तेज धूप में वो हवा भी
शायद हवा हो जाती है !!
सकूं दे जाती है वो बसंत बहार
जब नए नए पते शाख पर आते हैं
जैसे कोमल मन पर एक सुलझे
हुए इंसान के प्रवचन छाते हैं !!
प्रक्रति का यह संचार सुहाना है
जीवन में उमंग का फिर आना है
फिर वो फुहार, और तपिश सूरज की
जीवन को नया गीत फिर सुनाना है !!
चेह्कती चिडिया ची ची कर हैं नभ में
जब मेरी नजर पड़ती हैं उन सब पे
इक सोच सी उठ जाती है रह रह कर मन में
“अजीत” कितना अच्छा होता, तू भी होता इन सब में !!
अजीत तलवार
मेरठ
Posted by ajeet kav