तू ही है।।
हो ग़र तेरा कोई ख़ुदा तो मेरा इकलौता रब तू है,
कई होंगे आशिक़ तेरे तो मेरी इकलौती शमा तू है,
होती होंगी साज़ सहर सूरज तेरी मेरी तो तुझी से है,
रहती होंगी तमन्नाएँ जवां तेरी मेरी तो इकलौती तमन्नातू है,
कई रंग होंगे तेरी ज़िन्दगी में मेरी तो इकलौती ज़िन्दगी तू है,
होगी तेरी राहे फूलों से भरी मेरी तो इकलौती मंझिल तू है,
होंगी तेरी फ़िज़ा में बहारें मेरी तो इकलौती बहार तू है,
तुझसे होगी कईयों के खुशियाँ मेरी तो इकलौती खुशी तू है,
नज़ाकत होगी तेरी कईयों को पसंद मेरी तो तू इकलौती हसरत है,
ना ग़र तू मानें तो ये ना क़िस्से ना कहानी तू ही मेरी जीवन कि कहानी है,
हो ग़र तेरा कोई ख़ुदा तो मेरा तो इकलौता रब तू हैं।।
मुकेश पाटोदिया”सुर”