तू ही तू
तू लफ़्ज़ों की तरहा मुझ से किताबों
में मिला कर,
लोगों के तुझे डर है, तू मुझसे ख्वाबों में मिला कर।।
फूल का खुशबू से ताल्लुक है जरूरी,
तू महक बनकर मुझसे गुलाबों में मिला कर।।
जिसे छु कर मैं महसूस कर सकूं…
तू मस्ती की तर्ज में मुझसे शरारतो में मिला कर।।
मैं इन्सान हूं, है डर मुझको भी बहकने का,
इस वास्ते तू मुझसे, हिजाबों में मिला कर ।।