तू सुकूं दिल का मेरे तू ही तो ग़मे दिल है
तू सुकूं दिल का मेरे तू ही तो ग़मे दिल है।
तू मसीहा है मेरा और तू ही का़तिल है।।
जिस तरफ देखता हूं तेरा ग़ुमां होता है।
इस तरह से तू ख़यालों में मेरे शामिल है।।
जब कभी याद दिलाया गया वादा उसको।
फिर दिखा देता नया ख़्वाब बड़ा बातिल है।।
अब ख़ुदा से भी दुआओं में भला क्या मांगू।
जब मुझे तेरी वफा़ प्यार तेरा हासिल है।।
डूबना आता नहीं रेत पे चलना भी नहीं।
कश्तियों का तो ठिकाना ही फक़त साहिल है।।
अब कदम कैसे बग़ावत न इरादों से करें।
जब नज़र आई तभी आगे बढ़ी मंजिल है।।
रात दिन गुम है तसव्वुर में “अनीश” अब तेरे।
एक तू है जो ख़यालों से मेरे ग़ाफ़िल है।।