तू वो नहीं इस दिल को बताने के लिए आ
तू वो नहीं इस दिल को बताने के लिए आ
भूल गया इसे याद दिलाने के लिए आ
माँग सकूँ तुमको खुदा से वक़्त है अभी
आ मिरे दस्त-ए-दुआ उठाने के लिए आ
सोये हैं चादर तान के जज़्बात सारे
आ ईश्क़ का सुरूर जगाने के लिए आ
घर के दरवाज़े जो बंद कर लिए तूने
आ नई कोई राह बताने के लिए आ
उम्मीद कहाँ है मुझे के मनाएगा तू
चाँद सी सूरत दिखाने के लिए आ
वो प्यार नहीं तिरी मेहरबानियाँ थी
अपनी अना की जीत मनाने के लिए आ
इतना याद है ‘सरु’ के बहुत दिलनशीं थे
आ फिर वही क़िस्से सुनाने के लिए आ