तू यार सुखी साकी मे
बचपन से कभी तू मेरा था, किस्मत का तू धनी सरदार था।
मुझे मिली गरीबी घर-बार छिना,मां-बाप गए लावार बना।।
तेरी शिक्षा ने मुझे चमकाया था, गया फौज कमिशन पाया था।
तेरा कोर्ट मार्शल सुन मै चोंक गया, पर देख मंत्री दिल झूम गया।।
आज सुना तू अपनी राम कहानी, मैं हूं तो निर्धन पर साथ पुरानी।
हुआ कोर्ट मार्शल तो घर आया, नेतागिरी भूत सर पे मंडराया।।
मंत्री बना मै जीत इलेक्शन, ना चैन से कटता यारा जीवन।
जनता मर रही महंगाई में, हम नेता पिस रहे तानाशाही में।।
टीवी न्यूज़ अखबार भरे हैं, सब नेताओं को कोस रहे हैं।।
पड़े खुफिया रेड भ्रष्टाचारीयों के, आज मिले वारंट गिरफ्तारी के।
ना मिला अब सब माटी में, तू भला यार ले सुख साकी में।।
सुख कहां किसे इस महंगाई में, मेरी जली डिग्रियां गरीबाई में।
स्वार्थ में सरकारी नेता, ना जनता का साथी होता।।
काश! तुम भी मजदूरी करते, बन संतोषी साकी पीते।
भ्रष्टाचार से तेरा भरा पिटारा,अब काटो जेल पछताओ यारा।।