तू मुफ्त में मारा जाएगा
कान खोलकर सुन लो पाकिस्तान,
ये तुम्हारा पिल्ला नहीं बच पाएगा,
क्यों भौंकता है पागलों की तरह,
एक दिन मुफ्त में मारा जाएगा।
बार-बार क्यों ऊँगली करता है,
हर बार तो मुँह की खाता है,
तीन-तीन बार तू पीठ दिखाया,
फिर भी समझ नहीं आता है।
अरे इतना ही जंग का भूत चढ़ा,
तो सामने से आकर लड़ लेते,
तू मेरा राम नाम सत्य करता,
या हम तेरी फातिहा पढ़ लेते।
लेकर सहारा आतंकवादियों का,
निर्दोषों पर हमला करवाते हो,
चुपके से पीठ पर वार करके,
अपनी मर्दानगी को दिखलाते हो।
हम अपनी औकात पर आ जाएँ,
तो जड़ से ही तुझे उखाड़ेंगे,
हम भारतीयों का शान तिरंगा,
जाकर बीच लाहौर ही गाड़ेंगे।
तू केवल देखता ही रह जाएगा,
और कुछ भी ना कर पाएगा,
काश्मीर का सपना तू छोड़ ही दे,
सारा पाकिस्तान ही अब गंवाएगा।
पैंसठ और इकहत्तर की हार भूल गया,
कारगिल पर तेरी कब्र बनाई भूल गया,
बांग्लादेश को कभी तू भूल नहीं पाएगा,
बालाकोट तुझे हरवक्त ही याद आएगा।
काश्मीर के लिए तू दर-दर भटकता,
पर तुझे भीख भी नहीं कोई देता है,
इतने सर्जिकल स्ट्राईक होने पर भी,
पाकिस्तान सबक कभी नहीं लेता है।
चाहे कसम खा ले या विश्वास दिला दे,
तू ना सुधरा है और ना ही सुधर पाएगा,
तू कुत्ते की दुम चाहे कोई जतन कर ले,
टेढ़ा ही रहेगा कभी सीधा ना हो पाएगा।
तेरे पिल्ले धमकाते हैं मोदी जी को,
तू ना जाना उन्हें और ना जान पाएगा,
मोदी जी के शासन काल में ही,
तेरा भूगोल इतिहास में बदल जाएगा।
?? मधुकर ??
(स्वरचित रचना, सर्वाधिकार©® सुरक्षित)
अनिल प्रसाद सिन्हा ‘मधुकर’
ट्यूब्स कॉलोनी बारीडीह,
जमशेदपुर, झारखण्ड।