तू मुझे क्या समझेगा
तू मुझे क्या समझेगा
तेरा वज़ूद मेरे जिस्म के उस हिस्से से बना
जिसे बनाने में मैं खुद नेस्तनाबूत हुआ
तेरी रगों में बहता है में रा लहू
जिसने मेरी रंगत को सुर्ख से सफेद किया।
पर मेंरे हौसले तेरे इरादों को बढ़ने नहीं देगें,
मेंरी चेतना तुझे हारने के लिए मजबूर कर देगी।
क्योंकि में री जिजीविषा को हराने का हौसला,
किसी में नहीं तुझ में भी नहीं।