तू धन्य ! वसुंधरा धन्य है |
“चाचा सुमेर सिंह आर्य भजनोंपदेशक जी नमन |||”
तू धन्य ! वसुंधरा धन्य है | शुभ कर्म ही जिसका ध्येय है ||
1. जन्मा ऐसा पुत्र जिस पर , पला “चन्दगी जी “ के करतल पर |
हित कार्य परिवेश चमन है , शत-शत बार तुम्हें नमन है ||
2. माता-पिता का अति दुलारा , सृष्टि रचयिता नयनों का प्यारा ;
केवल जन्मां हित कार्यों की खातिर , बनकर तपस्वी… बना इस काबिल |
जीवन में सफल हूँ…. यही लगन है , शत-शत बार तुम्हें नमन है ||
3. खरकड़ा गाँव में है शिक्षा पाई , इसी शिक्षा से हुई आपकी मान-बड़ाई ;
खूब राजसी ठाठ-बाठ से बचपन बीता , ध्येय मात्र शिक्षा पाने का… कोई नहीं थी चिंता |
दृढ़(अटल) प्रतिज्ञा वालों के आगे झुका गगन है, शत-शत बार तुम्हें नमन है ||
4. बज उठी शहनाई और भाग्य ने पलटा खाया, जीवन संगी बनने का शुभ अवसर आया ;
धरती माता भी थी सहमी और ली अंगड़ाई , गहरी निद्रा से उठ बैठी… काली बदरी छाई |
समाज कलंकित हो चुका… सत्य हुआ गबन है , शत-शत बार तुम्हें नमन है ||
5. ऋषि दयानंद की ली शिक्षा थी जो सीख पुरानी , पिछड़े समाज को शिक्षित कर दूँ यही मेरी कुर्बानी ;
सामाजिक बुराइयों का हो रहा नाच नग्न है , शत-शत बार तुम्हें नमन है ||
6. कसम उठा ली बेटे ने … तनिक आप न घबराया , आज्ञाकारी पुत्र की बात सभी ने सुहाई ;
हाय ! विधाता ! तुम भी तो कितने हुए निर्दयी हो , मानव जाति रही पराजयी … तुम सदैव विजयी हो |
“कुलवीर बैनीवाल”स्मरण कर उस हत्या दिन को “गाँव खरकड़ा”शौक मग्न है,शत-शत बार तुम्हें नमन हैं |
————- कुलवीर बैनीवाल, प्रधान-सुमेर सिंह आर्य संस्थान |