तू तो सब समझता है ऐ मेरे मौला
तू तो सब समझता है ऐ मेरे मौला,
दिल नही मानता है ऐ मेरे मौला।
आती है याद दोस्ती हमे यूँ ही,
मन मेरा हारता है ऐ मेरे मौला।
गिर गया है वो मेरी नज़र मे कब का,
उससे क्यों वास्ता है ऐ मेरे मौला।
उसको उसकी तरह ही कोई मिले,
दिल यही चाहता है ऐ मेरे मौला।
प्यार ने कह दिया ज़माने से आज,
अब नही राबता है ऐ मेरे मौला।
शमा परवीन – बहराइच (उत्तर प्रदेश)