तू खामोश मुहोबत है
तू खामोश मुहोबत है मै बदनाम सा किस्सा कोई
उनसे यूं मिलना हुआ जैसे अनजान से मिलता कोई
मै तन्हा हूं शायद ये जिंदगी ही बेवफा निकली मेरी
लहरो को भी मिल जाता है वफा का किनारा कोई
हमारी नाव ही सुनामी मे कही ठहर सी गई है शायद
वरना भटकते हुए को मिलता नही क्या सहारा कोई
जो चुप हो जाते है ओर कहते अच्छे वक्त पर आए
वहां यकीनन समझना राज छुपाया है जाता कोई
कोई पूछे गर तेरे बारे मे तो शान से यही कहता हूँ
वो मिला था एक बेमुकद्दर खुशी का हिस्सा कोई
हमारी चाहत मे सादगी और सच्चाई थी भरी हुई
बड़ो से हमेशा ही सुना दिल से बुरा नही होता कोई
ए बेवफा तेरी याद ही अच्छी जो हर पल आती रही
यादो के सिवा लिखने का हमे मिला न जरिया कोई