****तूफान भी क्यों न रुक उठेगा?****
प्रायः देखा गया है कि परिश्रमी व्यक्तियों को अचानक निराशा घेर लेती है। सामाजिक विद्रुप का सामना भी उस व्यक्ति को करना पड़ता है,ऐसे व्यक्ति को शायद मेरी छोटी सी कविता प्रेरणा दे। साथ ही परिश्रमी व्यक्तियों को इस संदेश के साथ कि वह निराशा का त्याग कर दे और थोड़ा संयम रखें। सब ठीक होगा।
यहाँ तूफान से आशय मेहनती व्यक्ति के सामने आने वाली समस्याओं से हैं।
नवाचारों से प्रेरित होकर कह उठा यह आज मन,
चूक मत, तैयार हो जा, विजित कर ले आज रण,
नव विचारों से कर सुसज्जित,तूफान भी क्यों न रुक उठेगा?
कर प्रतिज्ञा सत्य अनुसरण से, संसार क्यों न झुक उठेगा?॥1॥
साहस का संचार कर तू, और निराशा का त्याग कर दे,
निराशा की अग्नि को, तन के जल से शान्त कर दे,
वीरता का आयुध पहन तू, तूफान भी क्यों न रुक उठेगा?
कर प्रतिज्ञा सत्य अनुसरण से, संसार क्यों न झुक उठेगा?॥2॥
ज्ञान की अवधारणा से, मन को इतना प्रबल कर लें,
ज्ञान के लघु दीप प्रज्वलित कर, विषम क्षण को शान्त कर लें,
क्षण बदलने की कर प्रतीक्षा, तूफान भी क्यों न रुक उठेगा?
कर प्रतिज्ञा सत्य अनुसरण से, संसार क्यों न झुक उठेगा?॥3॥
वीरता एक औषधि है, तू इतना मान मन में,
इस महौषधि का पान करके, कुछ नया करने की ठान मन में,
ठान ले संकल्प से यदि, तूफान भी क्यों न रुक उठेगा?
कर प्रतिज्ञा सत्य अनुसरण से, संसार क्यों न झुक उठेगा?॥4॥
निर्भीकता के प्रस्तर से, आत्मबल पर सान रख ले,
आत्मबल में पैनापन ला, निराशा का नाश कर दे,
बुद्धि का प्रयोग करके, तूफान भी क्यों न रुक उठेगा?
कर प्रतिज्ञा सत्य अनुसरण से, संसार क्यों न झुक उठेगा?॥5॥
परिश्रमी व्यक्ति को निम्नांकित पद का अवश्य पालन करना चाहिए, निर्भीकता बहुत आवश्यक है, अतः उसके प्रति सजग रहना चाहिए, इस स्थिति में सफलता उसके क़दम क्यों नहीं चूमेगी?
असत्य का अवसान कर, सत्य का अनुशरण करूंगा,
निराशा को कुचलकर, निडरता का अनुगमन करूंगा,
सफलता की उस महक से, तूफान भी क्यों न रुक उठेगा?
कर प्रतिज्ञा सत्य अनुसरण से, संसार क्यों न झुक उठेगा?॥
**अभिषेक पाराशर**