तु है कौन – – ?
सुन रे गगन विशाल,
संग सुनो धरती पाताल,
तू खड़ा देख रहा क्यों मौन,
मेरा जना पुत्र पुछ रहा तू है कौन?
अपना रक्त पिलाया जिसको,
जीवन जोत दिखाया जिसको,
जल बन गया मेरा शोण,
मेरा जना पुत्र पुछ रहा तू है कौन?
प्रकृति से तू सिखा नहीं,
मेरी तपस्या तुझे दिखा नहीं,
ओह! हुआ आज ममता ही गोण,
मेरा जना पुत्र पुछ रहा तू है कौन?
धिक्कार करूँ क्या निज उदर को,
जिससे तुझसा पुत्र जना,
धिक्कार करूँ क्या उस भूर-भूवर को,
क्षण विशेष का साक्ष बना,
तुझसे कहँ क्या? तू कर रहा नारी अस्तित्व गोण,
मेरा जना पुत्र पुछ रहा तू है कौन?
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