तु दिख जाता है मोर के पंखों में
उगते सूरज में, ढलती शाम में,
तु महसूस होता है हर नाम में।
चटकती कलियां,महकते फूल,
तेरे नाम से है कण – कण धूल।
चमकती बिजली,गरजते बादल
हर जगह ढूंढती तुझे , मैं पागल।
चहकती चिड़िया,गुनगुनाते भौंरे
पड़ते ओले, सर्द हवाएं, कोहरे।
शोर मचाती नदियां,शांत सागर
ऐ मालिक ,ऐ जग के उजागर।
खुबसूरत तितलियां कई रंगों में,
तु दिख जाता है मोर के पंखों में।
काले बादलों, बगुलों की कतारों में,
लाल फूलों से सजे सेमल बहारों में
घोंसले से सजे पेड़ों की हर डाली,
बुलबुल,पपीहा,कोयल मतवाली।
शीतल हवाएं,दूर तक फैली चांदनी,
महुआ,जामुन,पक्षियों की रागिनी।
नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश