****तुलसीदास****
राम नाम का मोती मनका
हॄदय में राम को बसाये
रामचरित मानस को रचके
गोस्वामी तुलसीदास कहाये
रामनाम में अटूट श्रद्धा
रामभक्ति में ही लीन रहे
रचे अनेक दोहे चौपाइ
भक्ति रस में ही विलीन रहे
भक्त तो वे एक महान थे
राम गुणगान करते सदा
कवितावली,विनयपत्रिका
राम नाम से था हॄदय भरा
पत्नी थी उनकी रत्नावली
बात करती थी जो बड़ी भली
तुलसी ने जब वैभव त्यागा
तब था उनका भाग जागा
चल पडे छोड़ मोह माया
राम भक्ति में चित्त समाया
भक्ति को आधार बनाया
राम ने नव्य पथ दिखलाया
मन मे था वैराग्य समाया
सहसा हॄदय यूँ भर आया
तब थे ज्ञान के चक्षु खुले
जैसे हरि के पग ही धुले
राम चरण मे जीवन अर्पण ही
प्रभु हेतु सर्व समर्पण किये
राम हनुमान के पग छूये
तुलसी तब तुलसीदास हुये।।
✍️” कविता चौहान”
इंदौर (म.प्र)
स्वरचित एवं मौलिक