तुम
तुम चाँद हो,चांदनी हो, शीतलता तुम हो
मेरे हृदय की अंतहीन निर्मलता तुम हो,
तुम्ही से रंग है, रोशनी है, खुशबू भी है
किसी शब में ख्वाब की मादकता तुम हो,
काली रातों में जब घोर निराशा पनपी है
आशाओं का दीप जलाती निर्भीकता तुम हो,
तुम छाँव हो, आस हो, ईश की वरदान हो
मटमैले और बेरंग नीर की पवित्रता तुम हो,
तुम जहान हो, आन हो, मान हो सम्मान हो
तुम चंचल मन की डोर हो स्थिरता तुम हो,
तुम बहू , पत्नी , प्रेमिका, माँ – बेटी बहन हो
एक तन में अनेक रूपों की विभिन्नता तुम हो,
तुम वायु हो, जल हो, अग्नि हो, आकाश हो
मेरे जीवन को जीने की आवश्यकता तुम हो,
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निर्मल सिंह ‘नीर’
दिनांक – 23 जुलाई, 2017