तुम
मेरे दिल की धड़कन तुम,
मेरी सांसों की सरगम तुम,
मेरे ख्वाबों की मलिका तुम,
मेरे चित्त की चंचलता तुम,
तुम मेरे जीवन का दर्पन,
तुम पर मेरा सब कुछ अर्पन,
तुम ही मेरा उत्थान-पतन,
तुम से ही मिलेगा नव-जीवन,
तुम पर है निछावर सारा जहाँ,
तुम से ही बनेगा मेरा जहाँ,
तुम बिन नहीं कोई यहाँ-वहाँ,
तुम बिन बोलो मैं जाऊँ कहाँ,
अतः अब तुम ही तुम बस तुम ही तुम,
इस दिल में बसे हो तुम ही तुम,
कोई और नहीं बस तुम ही तुम,
जीवन पथ साथी तुम ही तुम ।
✍️ – सुनील सुमन