तुम ही हो
दिन को तडपते हैं हम,रातों को जागते हैं
दिल थाम ही लेते हैं, जब आते याद तुम हो
हर आरजू है झूठी, बस उम्मीद एक सही है
सामने मेरे तो , मेरी जिंदगी खडी है ।
कोई क्या कहेगा, किसको भला क्या पता है
मेरे दर्दे दिल की तुम, तुम ही एक दवा हो ।
पल-पल उदास हैं हम,खुशी से ज्यादा हैं गम
मेरी जिंदगी है अधूरी, बाकी प्यास तुम हो ।
साँसों का क्या भरोसा, एक दिन तो छूट जाये
बस आशिकी तेरी, मेरी रुह के संग जाये ।
सपना नही है कोई, हमें सपनों से है गिला
चाहा कभी किसी को, सपनों मे ना मिला ।
कुदरत की है ये इबादत या है मेरी मोहब्बत
कि साँस बनके सीने मे ,धडकती हकीकत तुम हो ।
अशोक कुमार “राजा”