तुम ही तो हो
शब्द तु्म्ही आकार तु्म्ही हो
नयनों का परिहार तु्म्ही हो
स्पर्शों का आभास तु्म्ही हो
जीवन का मधुमास तु्म्ही हो
हरदिन सामने रहते हो पर
नयनों की मृदु प्यास तुम्ही हो
तुम बिन रंगहीन ये दुनिया
मेरे हरदिन की आस तुम्ही हो
तुम संग चलते-चलते जीवन की
कठिन डगर आसान हुई
फूल बने कांटे दुनिया के
सपनों को मेरे डगर मिली
तुमसे पाया स्नेहिल ममत्व
इन शब्दों का आभार तु्म्ही हो
अर्थ तु्म्ही और भाव तु्म्ही हो
प्रारंभ तु्म्ही और अंत तु्म्ही हो।
ममत महेश