तुम से मिलना था
(1)
फूल से हम जो खिल नहीं पाये।
तुम से मिलना था मिल नहीं पाये ।।
दर्द रिसता है आज भी उन से।
ज़ख्म दिल के जो सिल नहीं पाये।।
ज़ब्त में भी कमाल था इतना ।
अश्क पलकों से हिल नहीं पाये ।।
भूल सकते थे आप को हम भी ।
आपसा हम जो दिल नहीं पाये ।।
हम को लग जाती है नज़र सब की।
क्या करें रुख पे तिल नहीं पाये ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद