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7 Nov 2023 · 1 min read

मौन अधर होंगे

तुम से मिलना जब हमारा होगा
देखना बड़ा दायरा होगा
बीते सालों के एक एक दिन का
आंखों के सामने आना होगा
कैसे कटे ओर कैसे जीएं
तुम्हारे बिन
आंखों से ही कहना होगा
मौन अधर होंगे
उमर का भी एक तकाजा होगा
थोड़ा इस जग का भी तमाशा होगा
पर तुम मौन अधरों से ही
बातें सारी करना
आंखों में जब आए आंशु तो
कचरे का तुम बहाना करना
उसी नदी के पनघट पर
फिर एक बार मिलेंगे
फिर तुम अपना रस्ता चुनना
फिर चाहो तो दिल की सुनना
मैं तुम को वहीं मिलूंगा
मैं तुम को वहीं मिलूंगा
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)

Language: Hindi
2 Likes · 217 Views
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