तुम रहने दो –
अरे ठहरो जरा – तुम रहने दो,
बह रहे अश्क – मेरे बहने दो |
कुंठित सा फूल मुझे –
तेरी धूप ने बनाया |
क्षय रहा मुरझाकर, मुझे क्षय-ने दो |
अरे ठहरो जरा – तुम रहने दो |
तुम खिल तो गए –
नयी डाल पर जाकर |
मैं पड़ा रहा मुझको, ठोकरे सहने दो |
अरे ठहरो जरा – तुम रहने दो |
अब सीखा दो इश्क़ –
तुम जहां को सारे |
मुझे तेरा किस्सा, आवाम से कहने दो |
अरे ठहरो जरा – तुम रहने दो |
कमाल थी इबादत –
कमाल तेरी पूजा |
की मुझे संभाले कोई, पर यूं ही रहने दो |
अरे ठहरो जरा – तुम रहने दो |
बह रहे अश्क – मेरे बहने दो |
अरे ठहरो जरा – तुम रहने दो |
रचयिता – लक्ष्मण ‘बिजनौरी’
20-जुलाई-2022