तुम यह अच्छी तरह जानते हो
तुम यह अच्छी तरह जानते हो,
कि मैंने यह किसके लिए किया है,
क्यों नहीं बेचना चाहता मैं अपने ख्वाब,
और क्यों पसंद नहीं है मुझको कोई समझौता,
अपने उसूलों और जिंदगी में किसी के साथ।
तुम यह अच्छी तरह जानते हो,
कि क्यों नहीं है वैसा मेरा महल,
क्यों नहीं है उतनी दौलत मेरी तिजोरी में,
क्यों मैं तन्हा हूँ इस तरह,
और क्यों नहीं है मेरे साथ मेरे अपने।
तुम यह अच्छी तरह जानते हो,
कि क्यों नहीं मिली मुझको कोई सुंदरी,
मैं नहीं हूँ कुर्बान मैं मेरे समाज पर,
क्यों मतलब नहीं मुझको दुनियादारी से,
क्यों नहीं फिक्र मुझको किसी की।
तुम यह अच्छी तरह जानते हो,
कि मुझको सिर्फ शान्ति चाहिए,
चाहे वह मुझको प्रेम से मिले,
या फिर किसी से रुपयों में,
मैं बिगाड़ना नहीं चाहता हूँ,
कभी किसी से अपने रिश्तें,
और मिलता भी हूँ सभी से अक्सर,
जैसे कि वह मेरा परिवार हो।
तुम यह अच्छी तरह जानते हो,
कि——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)