तुम में मैं…विचारों की एक श्रृंखला
अनिर्णायक स्थिति में बने रहने से अच्छा है… स्वयं से प्रश्नोत्तर किया जाए और मन की उस तह तक प्रश्न पूछे जाएं जहाँ तक उत्तर आपको संतुष्टि प्रदान ना कर दें। जरूरी नहीं है कि उम्र का अनुभव किसी और के लिए प्रेरणा का कार्य ही करें। अनुभव का महत्व अवश्य है किंतु किसी एक गलत अनुभव का यह अर्थ कदापि नहीं हो सकता कि जिन सीढ़ियों से आप गिरे हो दूसरा भी उन्हीं सीढ़ियों पर आकर फिसले। जीने की यह शर्त नहीं होनी चाहिए कि हमसे सीखो। गलत अनुभव गलत आशंका को जन्म देते हैं। चुनौतियों को लेकर अनुभव व्यक्त किया जा सकता है किंतु हर व्यक्ति का एक ही परिस्थिति में भिन्न-भिन्न व्यवहार हो सकता है। सारा खेल भय का है। भय अपने साथ आशंका, दुश्चिंता, असफलता लेकर आता है। यदि गिरोगे नहीं तो खड़े होने का हुनर कैसे आएगा। जीवन अपने तरीके से सबको सिखाता है। सीखने की गति भिन्न-भिन्न हो सकती है। कोई कार्य करने से पूर्व विचार करता है और कोई करने के पश्चात। फर्क ढंग का है महज।
– जारी है…