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30 Dec 2020 · 1 min read

तुम मलयज शीतल चंदन हो…।

तुम मलयज शीतल चंदन हो …

जीवन मेरा तपती दुपहरी
तुम मलयज शीतल चंदन हो !

तुमसे मिलकर
जाना यह मैंने
तुम जीवन का आकर्षन हो !

शब्दों में तुम्हें बाँधू कैसे
पकड़ नहीं तुम आते हो
एक झलक मोहक दिखलाकर
फिर ओझल हो जाते हो !

तुम में खोकर
जाना यह मैंने
तुम ही जीवन का दर्शन हो !

मेरे मन को मंदिर-सा
पावन तुमने बना दिया
स्पर्श कर मेरी ज्वलित वेदना
चंदन-सा शीतल बना दिया

नयन मूँद कर
जाना यह मैंने
तुम ही मेरी पूजा-अर्चन हो !

सींच मेरे मन की क्यारी
जीवन को महकाया तुमने
जिजीविषा का स्फुलिंग
मन में मेरे दहकाया तुमने

तुम संग जीकर
जाना यह मैंने
तुम जीवन का स्पंदन हो !

बैठी रही मैं आस लगाए
पलक-पाँवड़े राह बिछाए
अटके रहे प्राण अधर में
जब तलक तुम नजर न आए

पलभर बिछड़कर
जाना यह मैंने
तुम प्राणों की धड़कन हो !

नजरों से भले ही दूर रहो
मन में सदा ही समाए रहना
जी न सकूँगी बिना तुम्हारे
बस यूँ ही प्यार बनाए रहना

रूह से लिपटकर
जाना यह मैंने
तुम एक सबल अवलंबन हो !

चित्रलिखित-सी जड़ीभूत हो
अहर्निश मैं तुम्हें निहारूँ
कान्हा- सा सम्मोहन तुममें
मैं मीरा-सी तुम्हे पुकारूँ

बँध प्रेम-पाश में
जाना यह मैंने
तुम एक मर्यादित बंधन हो !

-डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
“मृगतृषा” से

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 327 Views
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