‘तुम भी’
बंधा है एक रिश्ता तुमसे
रूह का रूह से मिलन हो जैसे,
पहली नज़र का था वो प्यार
कुछ कहना चाहा था तुमसे,
तुम्हे देखने को तरसती आंखें
छलके ऐसे सागर हो जैसे,
रातों की नींद तुमने चुराई मेरी
बनकर एक हंसी ख्वाब हो जैसे,
इन आँखों मे नशा लिए फिरती हो
मयखाने में छलकता जाम हो जैसे,
कभी तो मेरे दिल में झाँको ‘तुम भी’
कुछ शब्द लिख दूंगा शायरों जैसे,
खिला तुम्हारा हुस्न ‘पूनम’ रात में
चाँद भी शरमाया चांदनी के जैसे ।।