तुम बिन
तुम बिन
जी रहे थे हम जीवन खुशी
व अपनेपन से अपनों के साथ,
नही थी कोई कमी था बस
आनन्द ही आनन्द हमारे यहाँ,
वक्त ने करवट बदली अचानक
हुई हमारे जीवन मे हलचल….
ईश्वर को शायद हमसे ज्यादा
तुम्हारी जरूरत थी ………..
छीन लिया काल ने तुम्हे हमसे
हमेशा के लिए रह गये हम अकेले
उजड़ गई हमारी दुनिया तुम बिन
रह गये हम तीनों अकेले तुम बिन
आज तुम साथ नही हो हमारे
अधूरे है हम तीनो तुम बिन
पर अकेले रहकर हमने किये
तुम्हारे अधूरे कार्य बडी लगन से पूरे….
आज भी तुम्हारी कमी है हमारे
जीवन मे …..
पर आज अगर तुम होते
तो तुम्हे हम सब पर गर्व होता ,
क्योंकि हमने तुम्हारी हर जिम्मेदारी को किया है बडी
लगन से पूरा !!
वंदना ठाकुर “चहक”