तुम बिन जीवन
तुम बिन मेरा जीवन ऐसा
जैसे कोई कारा काली हो ।
ईर्द गिर्द यू तमस का फेरा
ज्यों रजनी से राका हारी हो ।
दिवस, मास फिर वर्षों में
यदि ये मिलना हो पाएगा ।
आभास शून्य का कर कर के
जीवन बंजर हो जाएगा ।
क्यो जीवन को अर्थ दिया ?
जब इसको व्यर्थ बनाना था ।
क्यों थामा दामन तुमने
जब तुमको लौट ही जाना था।