तुम बिन जीना सीख लिया
जब से छोड़ा तुमने मेरा हाथ,
तुम बिन जीना सीख लिया।
जब से छूटा तुम्हारा साथ,
तुम बिन चलना सीख लिया।
अब मैं ने लड़खड़ा कर गिर ते,
पैरों पर सम्हल ना सीख लिया।
हाँ याद तुम्हारी हर पल आती,
सांसों की निनाद सी बजती।
मन वीणा के तारों पर गुंजित,
विरह राग पर गीत गाना सीख लिया।