तुम बिन जाएं कहां
तुम बिन हम जाए कहां
सूना हो गया अपना जहां।
अपना हर रिश्ता था तुझसे
अब नहीं है कोई आस्तां।
तन्हाई से हम कितना लड़ें
खामोश हो गई है जुबां।
जिंदगी की जो है तल्खियां
करती हैं बहुत परेशां।
आखिरी दम तक इश्क़
निभायेंगे हम मेरी जां।
सुरिंदर कौर