तुम बात करते हो इन महरुमियों की।
तुम बात करते हो इन महरुमियों की अपनी।
यहां तो पूरा बचपन ही हमने अनाथों सा गुजारा है।।1।।
कभी मिलो इत्मिनान से हम से बताएगें सब।
कि किस किस ने कैसे हमको बेवजह का सताया है।।2।।
देर ना करना आ जाना सही वक्त पे तुम भी।
वर्ना बाद में मत कहना कि हमने दीदार ना कराया है।।3।।
लगता है उसकी मोहब्बत मुकम्मल हो गई है।
तुम्हें ना पता उसने इश्क़ में क्या खोकर क्या पाया है।।4।।
बड़ा नाज़ था यूँ तुमको तो उसकी वफाई पर।
फिर क्यों तेरी मुसीबत पर वह अब तक ना आया है।।5।।
क्या चाहते हो बर्बाद कर लूं मैं अपने आपको।
सब तो तेरी नज़र कर दिया मेरे हिस्से में क्या आया है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ