तुम फिर आओ गिरधारी!
तुम फिर आओ गिरधारी!
हे मोहन मदन मुरारी,
तुम फिर आओ गिरधारी
दम्भी का दर्प मिटाया
बन गोवर्धन गिरधारी
हे मोर मुकुट सिर धारी
मन भावे छवि तुम्हारी
हे मोहन मदन मुरारी
तुम फिर आओ गिरधारी ।
जब ताप बढ़ा, जग पाप बढ़ा
सब व्यथित कहें घट पाप भरा
बन जग के तारनहारी
प्रभु कंस पूतना मारी
हे मोहन मदन मुरारी
तुम फिर आओ गिरधारी।
कलियुग की अब गति लागी,
आसुरी शक्ति फिर जागी,
भेजे नित नये बवाल
अब कोरोना खलकारी
हे मोहन मदन मुरारी
तुम फिर आओ गिरधारी ।
जग में छाई महामारी
सब जन प्रभु शरण तुम्हारी
चले चक्र सुदर्शन रक्षक
बन वैक्सीन हितकारी
हे मोहन मदन मुरारी
तुम फिर आओ गिरधारी ।