तुम ‘प्रेम पगा’ ही रहा करो..
सौ बार कहा दिल से हमने …
तुम ‘प्रेम पगा’ ही रहा करो..
अपने मन को न छला करो…
प्रेम के साये में ही चला कोरो…
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सौ बार पलट कर दिल ने कहा…
दिलबर छोड़ चले हैं दिल को…
जो एड़ी के साये से भी कभी…
प्रेम लुटाया करते थे…
निस दिन जो तेरे …
खाबो ख्यालों में आया करते थे…
जो दिल बन कर …
दिल में ही धड़का करते थे …
जो कहते कभी न थकते थे …
हम दिल हैं तुम दिल कि धडकन हो…
हम मन हैं तुम मन की दर्पण हो…
वो पीठ दिखा कर चले गए …
हम दिल के हांथों छले गए …
हम फिर भी ‘पुर्दिल’ दिल से कहते हैं …
तुम ‘प्रेम पगा’ ही रहा करो..
प्रेम के साये में ही चला कोरो…
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05-05-2019
… पुर्दिल…