तुम पूज्यनीय हो गौ माता
सुनो एक समय की एक बात,
अंधियारा था, थी गहन रात,
सन्नाटा था, थी झींगुरों की आवाज,
जग सोया था, पर था एक राज,
बह रही थी पवन, पर चुप थी सड़क,
पंछी सोए थे, पर पंख रहे थे फड़क,
सोए थे श्वान, पर सहसा उठे जग,
धरा पर एक प्रकाश आया जगमग,
देखा दूर एक गौ माता खड़ी थी,
लगता था अपनी बात पर अड़ी थी,
आंखों से आंसू बह रहे थे,
अपनी करुण कथा कह रहे थे,
है ! गोपाल अब नही सहा जाए,
बढ़ रहा पाप नही कहा जाए,
विश्वास पर भारी है अविश्वास,
कैसे लू अब यहाँ साँस,
घुल गया पाप का जहर,
नित्य प्रति बढ़ रहा कहर,
हम को निकाला अपने घरों से,
तोड़ रहे है अपनो के भरोसे,
अब मुझको बुला लो पास,
बरसो से कर रही हूँ आस,
बजाओ मुरली, ओ मुरली मनोहर,
थोड़ा ज्ञान बरसाओ जाएंगे तर नर,
धैर्य धरो कर तुम धर्म धारण,
असत्य अनाचार अधर्म का होगा हरण,
सब दिन नही रहते कभी समान,
यह चक्र घूमेगा, धर्म का रखेगा मान,
तुम पूज्यनीय हो गौ माता,
फिर से घर घर विराजोगी माता,
।।।जेपीएल।।।