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12 Jan 2017 · 1 min read

“तुम थे ना कभी वादों में मेरे”

“तुम थे ना कभी वादों में मेरे
ना ही थे कभी इरादों में
क्यों आया दिल सहसा तुमपे
चंद मीठी मीठी बातों में ,
क्यूँ जीना बनता है गद्दारी
बिन साथ तुम्हारा ग़र देखूँ तो
हर लम्हा जरुरी हो जाता है
जब हसके तुम अपना कहती हो ,
क्यूँ ख्वाबों के तरंग नए
दिल में उठने लगते है
हर याद में होती हो मेरे
फिर भी दूर बहुत ही लगते हो ,
हर अफ़साने गाली लगते है
बिन तुमको ग़र मै सोचूं तो
हर हर्फ़ सवाली होते है
बिन तेरे ग़र मै जीउ तो ||”

Language: Hindi
247 Views
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