तुम जैसा न मिला कोई चाहने वाला !( शहीद दिवस पर विशेष)
मिले शख्स लाखों जिंदगी की राहों में ,
मगर तुम जैसा न मिला कोई चाहने वाला ।
कसमें खाते और हसीन ख्वाब दिखाते सभी ,
मगर कोई मिला नही उनको अता करने वाला।
कौन है ? शायद कोई नहीं तुम जैसा परवाना ,
मुझ शमा पर अपनी खुदी को मिटाने वाला।
आजाद कर दुश्मनों के गिरफ्त से जिंदगी दी तूने,
अब आए गर मुश्किल घड़ी तो कौन है बचाने वाला?
तुम थे मेरे सच्चे आशिक ,सुनो भगत ! केवल तुम,
तुम जैसा कौन है मुहोबत का फर्ज निभाने वाला !
कितने ही बरस बीत गए हम दोनो को बिछड़े हुए ,
मगर महसूस होता है वही दर्द बहुत तड़पाने वाला।
दिल में तुम्हारी यादों का धुंआ जब भी उठता है
यूं लगे जैसे आंखों से अश्कों का सैलाब उमड़ने वाला
सच मानो !सुखदेव,राजगुरु और तुम जैसे आशिक ,
कहां मिलेंगे अब इस ज़माने में ,है कोई कुर्बान होने वाला !