प्रणय 7
तुम क्यों सागर की लहरों जैसे नदियों की तरह मेरा इंतजार करते रहते हो
मुझे तो बस राम जैसे आदर्श और श्याम जैसी चाहत ही चाहिए थी
हमारा मिलन होता या ना होता पर हमारे प्रेम का डंका पूरे विश्व में बजता।।
तुम क्यों सागर की लहरों जैसे नदियों की तरह मेरा इंतजार करते रहते हो
मुझे तो बस राम जैसे आदर्श और श्याम जैसी चाहत ही चाहिए थी
हमारा मिलन होता या ना होता पर हमारे प्रेम का डंका पूरे विश्व में बजता।।