तुम क्या जानो
तुम क्या जानो
कैसे बहती होगी हवा वहां
घुट घुट कर रहती होगी
हर आहट से सहम जाती होगी
क्या होता है..रोज़ का मरना
दहशत के माहौल में जीना
तुम क्या जानो…….
ज़िन्दगी हर पल मौत से
जंग लड़ती होगी
कभी हारती तो कभी
जीने की फरियाद करती होगी
क्या होता है…लाचार होना
मर मर कर जीना
तुम क्या जानो……
बहुत आसान है
इतिहास की दुहाई देना
डूबने वाले को किनारे रह
तैरने के सबक सिखाना
क्या होता है…खुद पर गुजरना
अपनों की लाशों को कंधे उठाना
तुम क्या जानो…..
क्या फ़र्क पड़ता है
मरने वाला था अमन
या था करीम
था वो एक मां का बेटा
और बाप था किसी बेटे का
क्या होता है…सब लुट जाना
अपनों के बिन जीना
तुम क्या जानो…..