तुम और हम
तुम और हम
सूखी नदी के दो किनारे।
जिसे कभी न लहरें जोड़ सकेगी न हवा।
तुम और हम
जीवन में हर क्षण के नासूर ।
जिसे कभी न दुआ मिटा सकेगी न दवा।
-शशि “मंजुलाहृदय”
तुम और हम
सूखी नदी के दो किनारे।
जिसे कभी न लहरें जोड़ सकेगी न हवा।
तुम और हम
जीवन में हर क्षण के नासूर ।
जिसे कभी न दुआ मिटा सकेगी न दवा।
-शशि “मंजुलाहृदय”