तुम आ जाओ एक बार
तुम आ जाओ एक बार
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मात्रा भर=15
तुम आ जाओ न एक बार
मिल कर बातें करें हजार
साथ घूमूं बन परछाई
बन जाओ तुम छायाकार
तन मन में हो घर बसाए
तुम संग ही बने परिवार
तुम से मिलने की है आस
तेरे लिए खुले दरबार
आँखों मे रहते समाए
तुम्हीं मेरे दिल के सरदार
करूँ सच्चे मन से विनती
हर जन्म में बनो दिलदार
रहूँ पथ में नजर टिकाए
करूँ हर पल इन्तजार
मेरे मन की यही तमन्ना
कंधों पर जीवन का भार
मनसीरत नैनों में ख्वाब
मिलता रहे तुम्हारा प्यार
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)