तुम आओ मेरे अँगना
हे रामलला तुम आओ मेरे अंगना
हे रामलला तुम आओ मेरे अंगना
मेरे जीवन की बस आस यही है
मेरे साँसों की बस चाह यही है
मेरा जीवन हुआ तुम्हे समर्पण
देर मिले तुम आह यही है
सदियों में ये अवसर पाया है।
अब आओ! पधारो तुम मेरे अंगन
अब विराजो रामलला तुम मेरे अंगना।
हर पल हर छन मैने राह निहारी
बीत गए साल दिन रात राह निहारी
थक गए तकते तकते राह तुम्हारी
सूख गई मन की हरियाली
बस अब आकर सुध लो तुम मेरी
आज सज़ा धजा है मेरा अंगना।
अब तो विराजो रामलला तुम मेरे अंगना
अब देर ना करो रामलला तुम आओ मेरे अंगना।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद